आज मैं सोचे जा रही हूँ कि गाँव में शुरू हुआ एक औपचारिक-सा रिश्ता जो मेरे शिक्षक के असीम स्नेह के कारण आत्मा का रिश्ता बन गया। और मेरी बुआ से हमारा रक्त का संबंध है, पर बीस साल बाद विलास भैया के उस कार्ड को देखकर न तो मेरे आँसू छलके हैं, न मैं खुश ...
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