मैं नहीं समझ पा रहा हूं कि मैं अपना गुनाहगार खुद हूं या समाज से छनकर आती विकृत खबरों ने मुझे ऐसा बनाया पर यकीन मानो बेटी मैंने तुम्हारा सहज स्वाभाविक जीवन कभी नहीं छीनना चाहा। आखिर बाप हूं तुम्हारा...। लेकिन अफसोस कि मैंने ऐसा ही किया जो मुझे नहीं ...
↧